
चांदनी आज किस लिए नम है,
चांद की आंख में चुभा क्या है।
हां दोस्त, चांद की आंख में कुछ चुभ गया है मगर सुबह-सुबह एक ख़ुशी ने भी दस्तक दी है। जगजीत जी के अनुज करतार भाई ने फ़ोन पर ख़ुशख़बरी सुनायी कि - अब भाई की तबीयत पहले से बहुत बेहतर है। तो सोचा इस ख़ुशबू को दूर-दूर तक फैला दूं।
अपनी मख़मली आवाज़ से एक पूरा युग सजाने वाले जगजीत सिंह के लाखों-करोड़ों चाहने वाले ये जान कर जश्न मना लें कि अब अपने जगजीत भाई बहुत हद तक ठीक हो चुके हैं। आज सुबह जब करतार भाई का फ़ोन आया तो सूरज को काम संभाले कोई तीन-चार घंटे हो चुके थे। मगर उजाला, करतार भाई की आवाज़ के बाद हुआ। 'जग जीत' ने वाले यूं हारा नहीं करते। अब तो बस ये दुआ कीजिए कि वो जल्द ही आईसीयू और लीलावती हॉस्पिटल से भी बाहर आ जाएं ताकि फिर एक बार फ़िज़ा उनकी आवाज़ से महक सके। आमीन।
तकलीफ़ क्या बांटना? दुख को क्या सांझा करना? हां, आज सुबह जब एक ख़ुशी ने दस्तक दी तो सोचा इस ख़ुशबू को दूर-दूर तक फैला दूं। इस गठरी से मुट्ठी-भर ख़ुशबू लेकर आप भी फ़िज़ा में उछाल दीजिए। माहौल ख़ुशनुमा हो जाएगा।