यूं शुक्रिया बहुत छोटा लफ़्ज़ है उनके लिए। कुछ लोगों की दुआओं का, स्नेह और विश्वास का तिलिस्म ऐसा होता है जो आपको फ़र्श से अर्श पर ला खड़ा करता है। अपनी शुभा दीदी (शुभा मुद्गल) उन्हीं में एक हैं।
सितार के सरताज पंडित रवि शंकर जी की बेटी अनुष्का शंकर जी का नया एलबम Traveller रिलीज़ हुआ है। यूएस से दुनिया भर में रिलीज़ हुए Traveller का ट्रैक नं. 9 : Ishq आपके दोस्त ने लिखा है।
15वीं शताब्दी में फ़ारसी के बड़े कवि हुए- जामी। ''जामी के एक क़तए - 'इश्क़' का आमफ़हम ज़बान में काव्य अनुवाद किससे कराया जाए?'' जब अनुष्का जी ने ये सवाल हमारी शुभा दीदी से पूछा तो उन्होंने झट से मुझ जैसे नासमझ का नाम आगे कर दिया। ऐसा वो अक्सर करती रहती हैं। चुनौतियां पैदा करना और फिर उन चुनौतियों की कामयाबी के लिए दिल खोल के दुआएं देना, कोई शुभा दीदी से सीखे।
जामी ने अपनी ज़बान में इश्क़ की इबादत कुछ यूं की है -
जाम ज़मज़मय-ज़े-पा-ए-ता-सर हमे इश्क़,
हक़्क़ा के: बे-अहदा नयायम बैरुन,
बर उदे नवाख़्त यक ज़मज़म-ए-इश्क़,
अज़ अहद-ए-हक़ गोज़ारी यकदम-ए-इश्क़.
फ़ारसी के एक बड़े आलिम-फ़ाज़िल की सोहबत उठाई। उनसे जामी के इस क़तए का भाव पूछा-समझा और फिर जो काव्य अनुवाद हुआ उसका चेहरा कुछ इस तरह बना -
ये इश्क़ क्या हुआ है, ख़ुद इश्क़ हो गया हूं,
ख़ुद में ही रम गया हूं, ख़ुद में ही खो गया हूं,
तन-साज़ हो गया हूं, मन-राग हो गया हूं,
कभु करके कोई देखे, जो इश्क़ हो गया हूं.
संजीव चिमल्गी जी हमारे दौर के स्थापित शास्त्रीय गायक हैं। उन्होंने ये गीत गाया है। इस लिंक के ज़रिए गीत सुनिए और अच्छा लगे तो मेरी तरह आप भी ज़रूर कहिए - शुक्रिया शुभा दीदी। शुक्रिया अनुष्का जी।
Song on Youtube :
http://www.youtube.com/watch?v=B6uJTHpeyQo&feature=related
Album :
http://www.deutschegrammophon.com/html/special/shankar-traveller/tracklist.html
Ishq
Music by Javier Limón, Anoushka Shankar, Sanjeev Chimmalgi
Lyrics by Jami (15th century, Farsi language)
Poetic Translation by Aalok Shrivastav
Anoushka Shankar - Sitar
Sanjeev Chimmalgi - Voice (song)
Aditya Prakash - Voice (intro and outro)
Piraña Spanish - Percussion ·
Tanmoy Bose - Tabla
Kenji Ota - Tanpura
Tuesday, March 20, 2012
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17 comments:
आपको कोटि कोटि बधाई !!!
भला किया जो आपका नाम आगे कर दिया - आपने जो अनुवाद किया हैं उससे अच्छा कदाचित कोई कर भी न पाता... आलोक का पुंज युही प्रकाशित होता रहे... मंगलकामनाए
बधाई हो दोस्त! बहुत ख़ूबसूरत और दिल को छूने वाला काव्यानुवाद है।
ये इश्क़ क्या हुआ है, ख़ुद इश्क़ हो गया हूं,
ख़ुद में ही रम गया हूं, ख़ुद में ही खो गया हूं,
तन-साज़ हो गया हूं, मन-राग हो गया हूं,
कभु करके कोई देखे, जो इश्क़ हो गया हूं।
बधाई भाई
Great. Keep it up Alok Ji
Great work Alok Ji. Keep itup .. way to go >>>
अति उम्दा रचना ..खुदा करे आप यूँ ही बुलंदियों को छूते रहें..वह आपके हुनर को और तराशे..आमीन..
बहुत बहुत बधाई आलोक भाई..इसी तरह नई नई ऊँचाईयों और बुलंदियों को छूते रहें- अनेक शुभकामनाएँ.
आलोक इंटरनेशनल हो गए...आपने बेहद ही पुरसकुन और दिल को छूने वाला तर्जुमा किया है। आमीन... खुदा आपको उम्मीद बख्शे।
बधाई बंधु...
चुनौतियों से जूझने और फिर मुकम्मल फतह हासिल करने का सिलसिला यूं ही बदस्तूर जारी रहे। शुभकामनाएं.....
May you always be confronted with such soulful challenges and may you always come out with such amazing works.. " Summa Ameen"
कभु करके कोई देखे
भाई वाह...
बहुत ख़ूबसूरत, बधाई.
कृपया मेरे ब्लॉग" meri kavitayen" की नयी पोस्ट पर भी पधारें, आभारी होऊंगा.
बहुत ही मार्मिक एवं सारगर्भित प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपके एक-एक शब्द मेरा मनोबल बढ़ाने के साथ-साथ नई उर्जा भी प्रदान करने में समर्ख होंगे । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
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