Wednesday, March 4, 2009

ग़ालिब की एक ज़मीन

मंज़िलें बेगानी हो सकती हैं, और रास्ता मुश्किल। लेकिन दिल में हौसला हो, जुनूं की इंतेहा हो तो फ़ासिले ख़ुद सिमटने लगते हैं। ज़मीन, बड़े अब्बा ग़ालिब ने अता की थी और लफ़्ज़ विरासत में मिले थे, सो कहीं जाकर ये ग़ज़ल हुई थी। कोई पंद्रह बरस पहले। आज आपसे बांट रहा हूं।

मंज़िलें क्या हैं रास्ता क्या है,
हौसला हो तो फ़ासिला क्या है।

वो सज़ा दे के दूर जा बैठा,
किससे पूछूं मेरी ख़ता क्या है।

जब भी चाहेगा छीन लेगा वो,
सब उसी का है आपका क्या है।

तुम हमारे क़रीब बैठे हो,
अब दुआ कैसी, अब दवा क्या है।

चांदनी आज किसी लिए नम है,
चांद की आंख में चुभा क्या है।

ख़्वाब सारे उदास बैठे हैं,
नींद रूठी है, माजरा क्या है।

13 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

सुन्दर गज़ल है।

अमिताभ मीत said...

बहुत खूबसूरत. बहुत उम्दा शेर हैं. क्या बात है.

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी said...

आप ग़ज़ल बहुत अच्छी पढ़ते हैं। very effective. आपका हिन्दी विश्व सम्मेलन में पाठ देखा अभी।

गौतम राजऋषि said...

आलोक जी को प्रणाम...जुनूं की इंतेहा हो तो फ़ासिले ख़ुद सिमटने लगते हैं-सच कहा आपने।
तुम हमारे क़रीब बैठे हो,
अब दुआ कैसी, अब दवा क्या है

बहुत खूब सर

Er.Jayant Sharma said...

bahoot hee khoobsoorat gazal hai aalok jee,ye do ser to kaafee umda haiN.

वो सज़ा दे के दूर जा बैठा,
किससे पूछूं मेरी ख़ता क्या है।

जब भी चाहेगा छीन लेगा वो,
सब उसी का है आपका क्या है।

पीयूष पाण्डे said...

सुभान अल्लाह....
आखिरकार फिर कुछ लिखा आपने...
और वो भी इतनी ख़ूबसूरत ग़ज़ल....
पीयूष

Anonymous said...

Bahut beautiful

सुभाष नीरव said...

आलोक जी, आपकी हर ग़ज़ल खूब होती है। यह पुरानी है तो क्या बहुत खूब है।

Anonymous said...

aalok bhai,

aapki kalam se ek aur majboot ghazal padh kar accha laga,sabhi sher kaabil-e-taaref hai.aap badhai ke patra hai.

asha mishra said...

bahut khoobsurat ghazal hai.isse rubaroo karane ka bahut bahut sukriya...

Udan Tashtari said...

ख़्वाब सारे उदास बैठे हैं,
नींद रूठी है, माजरा क्या है।

--बहुत खूब कहा!! वाह!!

प्रदीप कांत said...

वो सज़ा दे के दूर जा बैठा,
किससे पूछूं मेरी ख़ता क्या है।

Behatareen Gazal

storyteller said...

वो सज़ा दे के दूर जा बैठा,
किससे पूछूं मेरी ख़ता क्या है।

bahut sundar sher hai,,badhaii...