
गए28 सितंबर को अपनी लता जी 82साल की हुईं और 'आजतक' पर बेमिसाल लता टेलीकास्ट हुई। अब वही फ़िल्म youtube पर आ गई है। ज़्यादा नहीं, बस 33 मिनट का समय निकाल लीजिए और एक ही सिटिंग में इसे देख डालिए। हालांकि समंदर की गहराई को किसने नापा है? किसके बूते में है आसमान के कैनवस पर ब्रश फेरना?
BEMISAL LATA Special for Aajtak PART 1 To 6
PART 1
http://www.youtube.com/watch?v=yqWPPMYZpwo
PART2
2http://www.youtube.com/watch?v=U1hvvb-Et94&feature=related
PART3
http://www.youtube.com/watch?v=C8D55FbXJ2k&feature=related
PART 4
http://www.youtube.com/watch?v=4lUbMttaWCI&feature=related
PART 5
http://www.youtube.com/watch?v=KUegoQZea5c&feature=related
PART 6
http://www.youtube.com/watch?v=hGk5Ppprzpw&feature=related
आपका ही आलोक
6 comments:
धन्यवाद भाई आलोक जी। इसे हम संजो रहे हैं॥
It is another masterpiece from a master and a great tribute to one of our living legend.
By creating such things you made us all proud.
बेमिसाल आलोक - हार्दिक शुभकामनाए
प्रिय आलोक भाई!
आपकी यह अद्भुत्त फ़िल्म कई बार देख चुका हूँ। लेकिन फ़िल्म देखने के बाद उसके जादू में देर तक डूबा रहता हूँ (और चाहकर भी कुछ लिखने का या अपनी प्रतिक्रिया तुरन्त आप तक पहुँचाने का मन नहीं होता)| फ़िल्म की खुमारी से बाहर आने की इच्छा नहीं होती।
फ़िल्म अनूठी है। स्क्रीप्ट किसने लिखी है? शानदार। उद्घोषिका की आवाज़, उच्चारण, प्रस्तुति, अभिव्यक्ति और अंदाज़ सब लाजवाब। मैं तो फ़िदा हो गया उन पर। उद्घोषक महोदय कौन हैं? उनका चेहरा भी एक बार दिखा दिया जाता तो अच्छा होता।
लता जी के साथ-साथ इस फ़िल्म को बनाने वालों का जादू भी मुझ पर छाया है। गानों का चुनाव बड़ा ख़ूबसूरत है। मैं मुग्ध हूँ और अभी लम्बे समय तक रोज़ इस फ़िल्म को देखूँगा और मुग्ध रहूँगा।
बेहतर होता कि गुलज़ार और अन्य कवियों से भी कुछ कहलवाया होता। फ़िल्म का अगला पार्ट बने तो दर्शकों और श्रोताओं को भी नहीं भूलिएगा। उनकी प्रतिक्रिया भी दीजिएगा। अनूठी फ़िल्म है।
सादर
मैं अनिल भैया आपका
आलोक जी, साधुवाद. आपकी दिली तमन्ना पूरी हुई सबसे पहले इसकी बधाई.लता जी के इंटरव्यू में आप तो नहीं थे, मगर आपका आलोक फैला हुआ दिखाई दे रहा था. मध्य के २५ वर्ष लता जी की आवाज़ के वे जादुई वर्ष थे जब हर भाव एक शिद्दत के साथ उस गाने में उतरकर जहन, दिल और आत्मा तक पहुंचकर उस गाने को सुनने वाले के भीतर इस कदर उतार देता था कि लगता था कि यह उसके लिए ही बना है.इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि बाकी वर्ष बेहतर नहीं रहे. कुछ और गाने भी थे जो शायद इस छोटे से अंतराल में समा नहीं पाए. एक बार फिर आपको बधाई.
excellent songs...
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